madhyamik shiksha parishad ka gauravshali itihas

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश का गौरवशाली इतिहास

madhyamik shiksha parishad ka gauravshali itihas

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश का इतिहास अत्यंत ही गौरवशाली रहा है. इसमें पठन- पाठन की भाषा हिंदी है. हिंदी भाषा हर तरह से अपने आप में परिपूर्ण है. इस परिषद के अधीन विद्यालयों में हिंदी भाषा में शिक्षा प्राप्त अनेक विद्यार्थी देश-विदेश के अत्यंत उच्च पदों पर आसीन हो चुके हैं. यह संस्था ने 2021 में अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाया.

आइए माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की स्थापना से लेकर आज तक  के प्रगति पथ पर एक नजर डालते हैं-

  • 1921-माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना
  • 1923-हाईस्कूल और इंटर के प्रथम परीक्षा का आयोजन
  • 1973-क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ की स्थापना
  • 1978-क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी की स्थापना
  • 1979-प्रदेश के सभी जिलों का परीक्षा फल कंप्यूटर के द्वारा तैयार कराया गया
  • 1981-क्षेत्रीय कार्यालय बरेली की स्थापना
  • 1986-विद्यालयों को स्ववित्तपोषित (वित्तविहीन) की मान्यता देने की शुरुआत की गई
  • 1987-क्षेत्रीय कार्यालय इलाहाबाद (प्रयागराज) की स्थापना
  • 2001-कक्षा 9 / 11 के विद्यार्थियों की परीक्षा पूर्व अग्रिम पंजीकरण की शुरुआत, परिषदीय परीक्षा फलों को आंशिक रूप से इंटरनेट पर प्रथम बार उपलब्ध कराया गया
  • 2002-उत्तरांचल राज्य बनने के बाद उत्तर प्रदेश से अलग हुए जिलों की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा है माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से उत्तर उत्तरांचल परिषद के द्वारा संचालित कराई गई,  पहली बार हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्रों पर विद्यार्थी के माता का नाम अंकित कराया गया
  • 2003-परीक्षा फलों को समग्र रूप से अंकपत्र के रूप में इंटरनेट पर उपलब्ध कराया गया
  • 2005-प्रमाण पत्रों को पहली बार हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी उपलब्ध कराया गया
  • 2007-हाईस्कूल और इंटर के अंकपत्र और प्रमाण पत्र पहले अलग-अलग बना करते थे. पहली बार अंकपत्र और प्रमाण पत्र को एक ही में मुद्रित कराया गया
  • 2013-कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के आवेदन के विवरण को ऑनलाइन लाया गया और upmsp.edu.in की स्थापना की गई
  • 2015-हाईस्कूल और इंटर के परीक्षा फल एक ही तिथि को एक ही समय पर इंटरनेट पर प्रकाशित किया गया
  • 2016-परीक्षा केंद्रों पर उपस्थित अनुपस्थित के विवरण ऑनलाइन लिए गए
  • 2017-क्षेत्रीय कार्यालय गोरखपुर की स्थापना,  जनहित अधिनियम गारंटी अधिनियम लागू , विद्यालयों की मान्यता ऑनलाइन
  • 2018-अच्छा केंद्रों का निर्धारण सॉफ्टवेयर के द्वारा किया गया,  परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया
  • 2020-परीक्षा केंद्रों का इंटरनेट के द्वारा निरीक्षण/ सर्वेक्षण पर  राज्य स्तरीय नियंत्रण
  • 2021- शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की स्थापना का शताब्दी वर्ष,  मिशन गौरव –  सम्मान समारोह

                            (सौजन्य-upmsp.edu.in)

यूपी एम् एस पी के क्रिया कलाप

  1. योग्य स्कूलों को मान्यता प्रदान करना
  2. हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के कोर्सेज और पाठ्य पुस्तकों का निर्धारण करना
  3. हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा कराना
  4. अन्य बोर्डों द्वारा कराइ गई परीक्षाओं को समकक्ष कि मान्यता देना

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा ली जाने वाली हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में प्रतिवर्ष लगभग 60 लाख से भी अधिक  विद्यार्थी भाग लेते हैं. यूपी बोर्ड के अधीन 22 हजार से भी अधिक सेकेंडरी स्कूल पंजिकृति है.

विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण और सफलता  की राह में हिंदी भाषा की भूमिका अहम रही है. अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने से विषय वस्तु विद्यार्थी के मन मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ती है, साथ ही बातें ज्यादा अच्छी तरह से समझ में आ जाती हैं. इसलिए उच्च अध्ययन और जीवन में सफलता के लिए अंग्रेजी जानना अब अनिवार्य नहीं रह गया है. भारत सरकार के सबसे उच्च पद ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ में चयन के लिए बहुत से विद्यार्थी हिंदी भाषा का चयन करते हैं और कामयाब भी होते हैं.

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